Saturday, November 26, 2022

 कौन कहता है की आसमान मे सुराख नहीं होता मुंह मांगा घुस देने की कूबत तो रखिए, बिहार मे वो भी मुमकिन है। यहाँ विशेष रूप से बात हो रही है बिहार लोक सेवा आयोग की, एक ऐसा परीक्षा आयोग जिसने अनियमितताओं की सारी हदें पार कर दी हैं।

  हालिया 67 वीं बीपीएससी प्रारम्भिक परीक्षा में भारी मात्रा में भ्रष्टाचार के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन आयोग के खिलाफ़ किसी तरह की कार्यवाही करने की सरकार की अब तक कोई मंशा साफ नहीं है।

 प्रदेश का युवा गरीबी लाचारी और बदहाली से परेशान होने के बावजूद 6 बाइ 3 के कमरों में अपना दिमाग खपाता है फिर प्रदेश के एक कोने से दूसरे कोने तक परीक्षा देने जाता है ताकि अपना और अपने परिवार का भविष्य सवाँर सके। आपको देखना चाहिए कैसे बिहार का युवा ट्रेन के टॉइलेट में बैठ कर प्लेटफॉर्म पर सोकर आधा पेट खाकर परीक्षा केंद्रों तक किसी तरह धक्के खाते हुए पहुंचता है।


 कई परीक्षार्थी इतने अक्षम होते हैं की आस पड़ोस से उधार लेकर परीक्षा देने जाते हैं, क्योंकि जो सपने उन्होंने देखे हैं वो बहुत बड़े भी हैं और नेक तथा मजबूत इरादों से लैस भी हैं। इन सब के बावजूद इन्हें इनकी  मेहनत और मेधा के विपरीत संस्थागत भ्रष्टाचार के कारण रेस से बाहर कर दिया जाता है, इनके अरमानों को बड़ी बेरहमी से साल दर साल कुचल दिया जाता है। इनके हिस्से रह जाती है तो केवल लाचारी, बेबसी और अगले साल फिर से उठ खड़े होने की एक कभी न खत्म होने वाली उम्मीद। 


                बेरोजगार युवाओं का दर्द किसी उपन्यास के किसी किरदार का दर्द नहीं है, अगर आप खास तौर से यूपी  बिहार से हैं तो यह जीवन आप सबने खुद देखा होगा और ज्यादातर ने तो इस दर्द को झेला भी होगा क्योंकि औसत आय में काफी पीछे रहने वाले ये राज्य जाहीर तौर पे अपनी अवाम की ठीक ठाक संख्या को रोजगार देने में अब तक नाकामयाब ही साबित हुए हैं।

 पढ़ने वाला युवा, अपने दम पर अपनी तकदीर लिखने का जज्बा रखने वाला युवा कैसे एक लाचार और 'अवसाद ग्रसित बेरोजगार' रूपी विशेषण में बदल दिया जाता है आप पटना और दिल्ली जैसे सिविल सेवा तैयारी केंद्रों में रहने वाले हजारों युवकों/ युवतियों को देखकर महसूस कर सकते हैं। इनका दर्द बढ़ती उम्र, परिवार की उम्मीदों, समाज और पड़ोस के तानों से भरे इनके दिमाग में झांक कर देखा जा सकता है। 

            सिविल सेवा के मैराथन में सफल तो बहुत ही कम होते हैं लेकिन बिहार लोक सेवा आयोग ने इस थोड़ी सी उम्मीद पर भी ताला लगा दिया है, 64 वीं बीपीएससी से 67 वीं तक कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आ चुके हैं लेकिन बिहार सरकार ने अभी तक आयोग के खिलाफ़ कोई ढंग की कार्यवाही नहीं की ऊपर से अभ्यर्थियों की लाचारी पर तंज कसा जाता है कि जो असफल होते हैं उनके पास यही सब काम बचता है।

 इन युवाओं का कलेजा छिल जाता है जब सरकार की पार्टी का बारहवीं पास प्रवक्ता टीवी डिबेट में अभ्यर्थियों की मेधा और उनकी संवैधानिक तथा न्यायसम्मत मांगों सवाल उठाता है। सरकार को लगता है कि मुठ्ठी भर प्रतिभागी उनके लिए मायने नहीं रखते, शायद उनको अपनी लाठी की ताकत पे ज्यादा भरोसा है। लेकिन जेपी आंदोलन से  अपनी  राजनीतिक जमीन तैयार करने वाले नीतीश और तेजस्वी के पिता अच्छी तरह से जानते हैं कि  मुठ्ठी भर युवा जब लावा बनकर फूटता है तो कैसे बड़े बड़े तानाशाहों और नेताओं के ताज जमींदोज हो जाते हैं। 

इसलिए सभी मित्र, भाई , बहन एक साथ अपनी आवाज बुलंद कीजिए और 29 नवम्बर 2022 को दिन में 12 बजे बी पी एस सी ऑफिस पर दिलीप भइया के नेतृत्व में होने वाले महा आंदोलन में भाग लीजिए। इस बार साथियों एक संकल्प लेना है कि अब कुछ भी हो जाए आयोग और सरकार की मनमानी चलने नहीं देंगे। जिस तरह महात्मा गांधी ने अपने हथियार से अंग्रेजों को झुकाया उसी अहिंसा और सत्याग्रह हथियार के द्वारा हम अपनी मांगों को आयोग और सरकार तक रखेंगे।

अपनी अपनी हदें अपनी अपनी सीमाएँ तोड़कर आगे आना ही होगा नहीं तो आने वाली अभ्यर्थियों की कतार भी हमारी तरह ही भ्रष्टाचार का दंश झेलने के लिए अभिशप्त रहेगी। 

इसलिए 

अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे /

तोड़ने ही होंगे मठ और गढ़ सब //